आप सभी दोस्तों का स्वागत है ग्रह गोचर में आज हम बात करेंगे की सिखों की महत्वपूर्ण पर्व बैसाखी त्यौहार के बारे में जो की कैसे इस त्यौहार को मनाया जाता है और इस पर्व की मुख्य विशेष बाते कौन-कौन सी है आइए जानते है
आज हम बात करेंगे बैसाखी त्यौहार के बारे में जो की जानेंगे की हमारा देश भारत त्योहारों का देश है. जहां यह त्यौहार हमे एक आगे बढ़ने का सन्देश देते है. वही हमारे जीवन में खुशियाँ एवं उल्लास भी लाते है. आइए जानते है बैशाखी पर्व के बारे में
भारत में बैशाखी पर्व सिख समुदाय नए साल के रूप में मनाता है, यह पर्व प्रत्येक साल हिन्दू कैलेंडर विक्रम संवत के प्रथम माह में पड़ता है. बैसाखी को फसलों की भी त्यौहार कहा जाता है. वैसे तो यह पर्व पुरे भारत देश में मनाया जाता है लेकिन पंजाब में यह पर्व प्रशिद्ध है. इसके साथ ही बैशाखी के दिन सिखों के दसवे गुरु श्री गुरु गोविन्द सिंह जी ने 1699 ईसवी में पवित्र खालसा पंत की स्थापना की थी.
बैशाखी मनाने की परंपरा :-
- ऐसा कहा जाता है की पुराने समय में औरंगजेब से युद्ध करते हुए कुरुतेज बहादुर जी जो की सिखों के नवम गुरु थे. उन्होंने अपने शिष्य का दान कर दिया था. कुरुतेज बहादुर जी हिन्दू की अत्यचार की खिलाफ लड़ाई कर रहे थे. तब उनके वीर गति के उपरांत उनके पुत्र गुरु गोविन्द सिंह जी अगले गुरु हुए.
- पौराणिक कथा के अनुसार इस दिन देवी गंगा स्वर्ग से धरती पर उतरी थी. इसलिए लोग गंगा नदी में पवित्र स्नान करते है.
- सन 1919 को बैशाखी वाले दिन ही हजारों लोग रॉलेट एक्ट के विरुद्ध में पंजाब और अमृतसर में जल्लिआंवाला बाघ इकठा हुए थे. जनरल दायर ने इसी दिन हजारों लोगो पर अंधादुंध गोलियाँ बरसाई थी और हजारों लोगो को मार डाला इस घटना से भगत सिंह अंग्रेजो के खिलाफ प्रेरित किया था.
- किसानों के लिए बैशाखी का पर्व रबी के फसल पकने के ख़ुशी में मनाया जाता है.
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