हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी वाले दिन शिवरात्रि होती है, लेकिन मान्यता है फाल्गुन मास की कृष्ण चतुर्दशी के दिन आने वाले शिवरात्रि सबसे बड़ी शिवरात्रि होती है, इसलिए इसे महाशिवरात्रि भी कहाँ जाता है।
चलिए अब जानते है आखिर क्यों मनाई जाती महाशिवरात्रि
हिन्दू पुराण में महाशिवरात्रि से जुड़ी एक नहीं बल्कि के वजह बताई गई है पौराणिक कथा के मुताबिक महाशिवरात्रि के दिन ही भगवान शिव शिवलिंग के रूप में प्रकट हुए थे. इसी दिन पहली बार शिवलिंग की भगवान विष्णु और बर्ह्मा जी ने पूजा की थी. इसी कारण महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग की विशेष पूजा की है, इसके आलवा ये भी माना जाता है की बर्ह्मा जी ने महाशिवरात्रि के दिन ही शिव रूद्र रूप को प्रकट किया था।
महाशिवरात्रि की दूसरी कथा क्या कहती है आइए जानते है :-
दूसरी कथा के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन ही भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। इसी वजह से नेपाल में महाशिवरात्रि के तीन दिन पहले से ही मंदिरो को मंडल की तरह सजाया जाता है, और भगवान शिव और माता पार्वती को दूल्हा और दुल्हन बना कर घर-घर घुमाया जाता है, महाशिवरात्रि के दिन उनका विवाह करवाया जाता है।
![2022 hindu mahashivratri](https://grahgochar.com/wp-content/uploads/2021/05/mahashivratri-shivji-mata-parvati-1024x574.jpeg)
कथा के चलते ये माना जाता है की कुंवारी कन्याओ द्वारा महाशिवरात्रि के व्रत रखने से शादी का संयोग जल्दी बनता है. इसी प्रचलित कथा के मुताबिक भगवान शिव द्वारा विष पीकर पुरे संसार को इससे बचाने की घटना के उपलक्ष्य में महाशिवरात्रि मनाई जाती है, दरअशल समुन्द्र मंथन के दौरान जब अमृत के लिए देवताओ और राक्षशों के बीच युद्ध चल रहा था. तब अमृत के निकलने से पहले कालकूट नाम का विषैला विष निकला था।
ये विष इतना खतनाक था की इससे पूरा ब्रम्हांड नष्ट किया जा सकता था. पर सिर्फ भगवान शिव ही उस विष को नष्ट कर सकते थे. तब भगवान शिव ने कालकूट नामक विष को अपने कंठ में रख लिया था. इससे उनका कंठ नीला पड़ गया और इसी घना के बाद भगवान शिव का दूर रूप नीलकंठ पड़ गया।
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