आज हम आपके लिए हिन्दुओ की पवित्र त्यौहार भाई दूज पर लेख ले आये है जो की आप इस लेख में जानेंगे की भैया दूज क्यों मनाई जाती है और यह त्यौहार कब एवं क्यों मनाई जाती है आज हम जानेंगे।
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष दितिया तिथि को भैया दूज का त्यौहार मनाया जाता है. गोवर्धन पूजा के ठीक अगले दिन भाई दूज मनाया जाता है. इस दिन बहने अपने भाई को तिलक लगाती है और उन्हें भोजन कराती है. ऐसी मान्यता है की इस दिन बहनों के घर भोजन करने से भाई की उम्र बढ़ती है.
भाई दूज क्यों मनाई जाती है? और भैया दूज कहा-कहा पर मनाई जाती है?
भाई दूज उत्तर भारत समेत कई राज्यों में मनाया जाता है. पश्चिम बंगाल में इसे भाई फूटा त्यौहार के नाम से भी जाना जाता है. पश्चिम बंगाल में बहने व्रत रखती है और भाई को तिलक लगाने और भोजन कराने के बाद ही खुद भोजन ग्रहण करती है. इस दिन भाई-बहनों को उपहार देते है.
वही महाराष्ट्र एवं गोवा में भाई दूज को भाऊ वृष के नाम से जाना जाता है वहां भाई को भाऊ कहते है वहां पर भाई को तिलक लगाती है और भाई दूज मनाती है. उत्तर प्रदेश और बिहार में भी भाई दूज की परम्परा है. उत्तर प्रदेश में बहने अपने भाई को तिलक लगाकर आम और शक़्कर के बताशे देती है और कुछ लोग आम और सूखा नारियल भी देते है.
अब जानते है बिहार में जबकि बिहार में इस दिन भाई को बहने गालियां देते है और उन्हें डाटती है फिर उनसे माफ़ी मांगती है और उसके बाद उन्हें तिलक लगाकर मिठाई खिलाती है. इस त्यौहार को नेपाल में भी धूम-धाम से मनाया जाता है. नेपाल में इस दिन भाई तिहाड़ के नाम से भी जाना जाता है. तिहाड़ का अर्थ होता है तिलक खास बात ये है की नेपाल में बहने अपने भाई को सात रंग से बने तिलक को लगाती है और लम्बी आयु की प्रार्थना करती है.
भाई दूज की पूजा एवं विधि –
भाई दूज का पूजन निश्चित रीती-रिवाज से किया जाता है. इसलिए इसकी विधि को ध्यानपूर्वक जानना चाहिए की विधि क्या है तो सबसे पहले सुबह स्नान कर स्वस्थ वस्त्र धारण कर ले. और इसके बाद भाई के तिलक की थाल सजा ले. तिलक के लिए सजाई गयी थाल कुमकुम, सिंदूर, चंदन, फूल-फल, अक्षत, सुपारी आदि रखी जाती है.
आशा और पूर्ण विश्वास है की आप सभी लोगो को भैया दूज त्यौहार की जानकारी पसंद आयी होगी। और आप अपने दोस्तों एवं मित्रो के साथ इस जानकारी को SOCIAL MEDIA पर शेयर करे. धन्यवाद !!