नमस्कार सज्जनो आप सभी का स्वागत है ग्रह गोचर में आज हम आपके लिए हिन्दू त्यौहारों में से एक त्यौहार जो की दिवाली क्यों मनाई जाती है इसके बारे में जानकारी देने वाली हूँ और दिवाली के महत्व और दीपावली कितने दिनों तक मनाया जाता है आइए जानते है.
हम सभी दिवाली श्री राम जी की वनवास पूरी होने पर जब श्री राम जी, माता सीता और लक्ष्मण जी आयोध्या में आने वाले थे. तब अयोध्यावासी लोगों ने अपने प्रभु श्री राम जी के आगमन के लिए अपने घरों के बाहर में दिप जलाकर श्री राम जी की आयोध्या में आगमन हुई इसी यादगार पलों की याद के लिए हम सभी दीपावली का त्यौहार मानते है.
क्यों मनाई जाती है दिवाली ?
दिवाली जिसे दीपावली के नाम से भी जाना जाता है. साल का सबसे प्रसिद्ध त्यौहार है, दिवाली का त्यौहार कार्तिक मास की अमावश्या तिथि को मनाई जाती है.
दीपावली कब मनाया जाता है : यह पांच दिनों को त्यौहार होता है जो धनतेरस से शुरू होता है और भाई दूज पर समाप्त होता है. इन पांच दिनों की दिवाली उत्सव में विभिन्न अनुष्ठानों का पालन किया जाता है और देवी लक्ष्मी के साथ-साथ और अन्य देवी-देवताओ की पूजा की जाती है. हालकि दिवाली पूजा के दौरान देवी लक्ष्मी सबसे महत्वपूर्ण देवी होती है.
पांच दिनों की दिवाली उत्सव में अमावश्या का दिन सबसे महत्वपूर्ण दिन होता है, और इसे लक्ष्मी पूजा, लक्ष्मी गणेश पूजा और दिवाली पूजा के नाम से जाना जाता है. दिवाली के दिन लक्ष्मी पूजा करने के लिए सबसे शुभ समय सूर्यास्त के बाद का होता है. सूर्यास्त के बाद के समय को प्रदोष कहाँ जाता है.
हिन्दू शास्त्रों अनुसार क्यों मनाई जाती है दीपावली ?
प्रदोष के समय व्याप्त अमावश्या तिथि दिवाली पूजा के लिए विशेष महत्वपूर्ण होती है. अत दिवाली पूजा का दिन प्रदोष एवं अमावश्या की योग पर ही निर्धारित किया जाता है. इसलिए प्रदोष काल का मुहूर्त लक्ष्मी पूजा के लिए सर्वश्रेठ होता है और यदि ये मुहूर्त एक घड़ी के लिए उपलब्ध हो तो इसे पूजा के लिए प्राथमिकता दी जनि चाहिए।
पुराणों के अनुसार कार्तिक अमावश्या के अंधेरी रात में महा लक्ष्मी स्वयं भू-लोक पर आती है और हर घर में विचलन करती है. इस दौरान जो घर हर प्रकार से स्वच्छ और प्रकाशवान हो वहां वो अंश रूप में ठहर जाती है. इसलिए दिवाली पर साफ़-सफाई करके विधि-विधान से पूजन करने से माता लक्ष्मी की विशेष कृपा होती है. लक्ष्मी पूजा के साथ-साथ कुबेर की भी पूजा की जाती है.