नमस्कार सज्जनों आप सभी का ग्रह गोचर में स्वागत है आज हम आपके लिए होली की जानकारी देने वाली हूँ। क्योकि बहुत सारे हमारे बंधुओ को होली क्यों एवं किस कारण मनाई जाती है तो चलिए हम जानते है होली और होलिका दहन के बारे में
क्यों मनाई जाती है होली जाने इस दिन त्यौहार से जुड़ी कथा :
प्राचीन काल में अत्याचारी राक्षस राज हिरण कश्यप ने जब तपस्या कर ब्रह्मा से वरदान पा लिया की संसार का कोई भी जीव जन्तु, देवी देवता, राक्षस मनुष्य उसे ना मार सकता ना ही वे रात मरे ना दिन में ना पृथ्वी पर ना आकाश पर ना घर में ना बाहर या तक की उसपर कोई शत्र भी उसपर ना मार पाए।
ऐसा वरदान पाकर वे अत्यंत निरंकुश मन कर बैठा हिरण कश्यप के यहां पहलाद जैसा परमात्मा में अटूट विश्वास करने वाला भक्त पुत्र पैदा हुआ. पहलाद भगवान विष्णु का परम् भक्त था. और उसपर भगवान विष्णु की कृपा दृष्टि से हिरण कश्यप ने पहलाद को आदेश दिया की वे उसके अतिरिक्त किसी अन्य किस्डुरति न करे. पहलाद के न मानने पर हिरण कश्यप उसे जान से मारने पर उतारू हो गया।
कैसे नाकाम रहा हिरण कश्यप पहलाद को मारने में :
उसने पहलाद को मारने के लिए अनेक उपाय किये, लेकिन वे प्रभु के कृपा से बचता रहा हिरण कश्यप के बहन होलिका को अग्नि से बचने का वरदान था. उसको वरदान में ऐसी चादर मिली हुई थी जो आग में नहीं जलती थी। हिरण कश्यप ने अपनी बहन की सहायता से पहलाद को आग से जला कर मारने की योजना बनाई।
होलिका बालक पहलाद को गोद में उठाकर जला कर मारने की उदेश्य से वरदान वाली चादर ओढ़ दुह दुह आग में जा बैठी। प्रभु की कृपा से वे चादर उड़ कर बालक पहलाद पर जा पड़ी और चादर न होने के कारण होलिका जल कर भष्म हो गयी। इस प्रकार पहलाद को मारने के प्रयास में होलिका की मृत्यु हो गई। तभी से होली का त्यौहार मनाया जाने लगा।
तत्य पश्चात् हिरण कश्यप को मारने के लिए भगवान विष्णु नर्शिंग अवतार में खंभे से निकल कर वो धुली समय सुबहे और शाम की संधि काल में दरवाजे की चौकट पर बैठ कर अत्याचारी हिरण कश्यप को मार डाला तभी से होली का त्यौहार मनाया जाने लगा।
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